मेजर एचपीएस अहलूवालिया

मेजर एचपीएस अहलूवालिया 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के एक युद्ध नायक हैं जिसमें उन्हें रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी। कुछ महीने पहले उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त किया था। इसके बाद, उन्होंने 1990 के दशक के अंत में इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर की स्थापना की और एससीआई कम्युनिटी के लिए एक प्रमुख एडवोकेट हैं। वह द स्पाइनल फाउंडेशन के संरक्षक-इन-चीफ और पहले अध्यक्ष हैं। (नई दिल्ली, 74 वर्ष)।

नसीमा हुर्सुक

16 साल की उम्र में रीढ़ की हड्डी की चोट ने नज़ीमा को जीवन में पीछे नहीं छोड़ पाया । शिक्षा , नौकरी , करियर ग्रोथ हो या फिर अंतरराष्ट्रीय खेल, उन्होंने सभी चीजों को आजमाया । वह दिव्यांगो के सहायक संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वह सक्रिय रूप से लगभग तीन दशकों से शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए काम कर रही हैं। चाहे कोई भी बाधा हो वह उस काम को बखूबी करती हैं। (महाराष्ट्र)।

एस रामाकृष्णन

नौसेना अधिकारी के चयन के दौरान एस रामकृष्णन को सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड आई इंजुरी हो गया। बहुत सारी चुनौतियों का सामना करते हुए, उन्होंने अयिकुडी, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु में अमर सेवा संगम की स्थापना की। उनका संगठन व्यावसायिक प्रशिक्षण, स्कूल, तथा रीढ़ की हड्डी में चोट वाले लोगो के लिए सुविधा प्रदान करता है तथा आस-पास के 600 गांवों में काम करता है। उन्होंने भारत में स्पाइनल कॉर्ड इंज्यूरी वाले लोगों की नेटवर्किंग का बीड़ा उठाया। (तमिलनाडु)।