स्किनकेयर - महत्व

रीढ़ की हड्डी की चोट वाले व्यक्तियों के जीवन में स्किन केयर सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। हमारे स्वास्थ्य को सही रखने के लिए और समाज तथा परिवार में बैठने, खड़े होने, चलने, काम करने और सक्रिय रहने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली त्वचा जरूरी है खासतौर पर शरीर के उन क्षेत्रों में त्वचा की देखभाल की अधिक आवश्यकता है जहां आपको कोई स्पर्श या दर्द संवेदना नहीं है या केवल सीमित संवेदना है। 

यदि आप पर्याप्त प्रेशर रिलीज़ करके अपनी त्वचा की देखभाल नहीं करते हैं, तो बेडसोर्स हो सकते हैं, या बेडसोर ठीक होने में लंबा समय लग सकता है, या फिर एक ही जगह पे यह बार-बार हो सकता है। इससे लाइफ की क्वालिटी से गंभीर रूप से समझौता करना पड़ सकता है। इसलिए त्वचा की देखभाल बेहद जरूरी है। 

दिनचर्या जरूरी है यदि आपको

  • स्पर्श और दर्द की अनुभूति न हो
  • स्पर्श की अनुभूति होती है, लेकिन दर्द की अनुभूति नहीं होती है।
  • केवल सीमित स्पर्श और दर्द की अनुभूति होती है।
  • पूर्ण स्पर्श सेंसेशन है, लेकिन केवल आंशिक पैन सेंसेशन है।

भारत में एक अध्ययन का परिणाम

स्किन केयर बेस्ट प्रैक्टिस जानने वाले एससीआई व्यक्तियों में से 82% व्यक्ति दबाव अल्सर (बेडसोर) से पीड़ित हैं।

इस अध्ययन में एससीआई के एक सौ आठ प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिनमें से 96 (89%) पुरुष थे, 68 (63%) 16-40 वर्ष की आयु के बीच थे, 73 (68%) को पूर्ण घाव थे और 82 (76%) काम कर रहे थे।

यह पाया गया कि अध्ययन आबादी के एक बड़े हिस्से, 89 के(82%) ने इंजुरी के बाद प्रेशर अल्सर विकसित किया था। अल्सर की गंभीरता को 38 (43%) प्रतिभागियों द्वारा हल्के, 12 (13%) प्रतिभागियों द्वारा मध्यम और 39 (44%) प्रतिभागियों द्वारा गंभीर रूप से वर्गीकृत(ग्रेडेड) किया गया था।

यह अध्ययन स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि पूअर प्रेशर रिलीफ प्रैक्टिस से एससीआई वाले व्यक्तियों में पीयू(PU) का विकास होता है, जो उनकी स्वतंत्रता , रोजगार की स्थिति,व्यवसाय घर का काम और दैनिक गतिविधियों में उनके काम काज व स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न करता है जो आगे चलके उनके जीवन की गुणवत्ता को कम कर देता है।

स्रोत: रीढ़ की हड्डी की चोट के साथ पुनर्वासित दक्षिण भारतीय व्यक्तियों में व्यावसायिक गतिविधियों और प्रेसर अल्सर के विकास में संलग्न होना

ए मैथ्यू, एस सैमुअलकमलेशकुमार, एस राधिका और ए एलंगो

स्पाइनल कॉर्ड एडवांस ऑनलाइन प्रकाशन, 13 नवंबर 2012; डोई:10.1038/एससी.2012.12